शनिवार, 7 अगस्त 2010

तथ्य

# तुम्हारे कहने से पाया बदल जायेगा एसा नहीं हो सकता, क्योकि अपने पण मै मई ही मै हु।

#इश बात को मत भूलो की कभी हम विलय हो चुके थे, यह अलग बात है की संतृप्त नहीं थे, लेकिन विलय hona एअककीकरण ही तो हप।

#माध्यम तो बनना पड़ता है अपने वजूद को रखने के लिए, लेकिन एसा माध्यम ही क्या जहा अपना सर्वाश्वा वजूद समाप्त हो जावे।

#जीवन जीने के लिए है, हर आयाम को स्थपित करने के लिए होता है, साधारण से असाधारण बन्ने के लिए होता है, एस रस्ते मै रोढ़े, उथल-पुथल और कठोर सकत पत्थर आते ही है।

#विलयन बन्ने के बाद आश्वान करना अच्छी बात नहीं है, क्योकि प्रेम एक एसा विलयन है की आश्वान करने से एक पक्ष तो उड़ा jata है आकाश की ओअर और दूशरा पक्ष जल कर पूरा रख हो जाता है। जो उधगया ओ नील गगन में सैर कर जाता है और साक्षात्कार कर लेता है ।

#जब अशुद्धि हो तब शुद्ध करे समझ में आता है, जहा गंगा के सामान पवित्र हो तो तो उसे शुद्ध करने की क्या आवश्यकता है।

#पोखर में पुष्प हो मधुर सुगंघ बिखेरती है , लेकिन वही समुन्द्र में विसर्जित करने से बहार आकर अपना सर्वाश्वा समाप्त कर देता है।

#आज के समाज में व्याप्त आसुरी शक्ति को साश्वत पुरुष बन कर नहीं, पौरुष दिखा कर समाप्त किया जा सकता है।

@समूचे बेद जो वाणी है जिसे गया जाता है, एसे गायत्री सविता ही है , जिसमे केवल और केवल और प्रखरता ही होता है, prakash wan khud jal kar hi dusro ko prakash deta hai,

#aanand umang me rahne ka wajah unmad , pagalpan nahi hota, wah to sar tatwa hota hai, jiwan ka rash hota hai, jise nirantar pite rahna chahiye.

# koyal aur kauwa dono ke swarup ek hota hai,lekin kafi bhinnta hota hai, ek me madhur aawaj to dusre me karkash bhra shabd.

#bagula aur hans me फर्क इतना है की एक तपश्या कर अपना आहार धुन्धता है तो दूशरा स्वक्ष वातावरण तालस्ता है,और नीले गगन में सैर कर अपने आप को तरवा तजा कर लेता है, बगुला दूध मिला जल से दूध नहीं पि सकता जबकि हंस एसे कार्यो में दक्ष और माहिर होता है।

# कर्त्तव्य होता है पालन करने के लिए , लेकिन एसा पालन नहीं किया जाता जिससे कर्त्तव्य ही विमुख हो जय, या मूल स्वरुप ही बदल जज।

#भावना देना अच्छा बात है पर भावनावो के साथ खेलना अच्छा बात नहीं।

#दृढ इच्छा से मानव आगे बढ़ता है पर मन और कर्म से अलग हो तो कोई आधार नहीं बनता।

#ज्ञान आवश्यक है पर मति में धारण नहीं कर , सवा निर्णय या ज्ञान मन लेना सही नहीं है।

#नंगे पैर चलने se darne wala व्यक्ति अपांग ,बैसाखी देख कर भी अपने भावनावो में सुधर नहीं लता तो वह जीवन के साथ बैमानी कर रहा है।

3 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं
  2. Thats a great effort in the way of NEW YUG.
    Be start with a fascinate line n world.

    जवाब देंहटाएं